Gopalganj: शिव मंदिर के पुजारी की आंखें निकालीं, काट दी जीभ, 5 दिन बाद मिला लापता शव; जमकर हो रहा बवाल
Temple: प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक मृतक का प्राइवेट पार्ट कटा हुआ था. उसकी आंखें निकाल ली गई हैं और जीभ काट दी गई है. इस बेदाग हत्या और लाश को देखकर लोगों में आक्रोश फैल गया.

Gopalganj: बिहार के गोपालगंज से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है. पांच दिन से लापता शिव मंदिर के पुजारी का शव गांव के बाहर से बरामद किया गया। पुलिस की गाड़ियां भी क्षतिग्रस्त हो गई हैं. ये घटना जिले के माझागढ़ थाना क्षेत्र की है.
यह पूरी घटना यहां के दानापुर में हुई. मृतक पुजारी की पहचान मनोज साह के रूप में की गई. मनोज साह दानापुर के बैजनाथ साह के पुत्र हैं. जानकारी के अनुसार, मनोज साह पांच दिनों से अपने घर से लापता था. उनका क्षत-विक्षत शव शनिवार को उनके घर के पास एक गड्ढे में मिला।
प्राइवेट पार्ट काट दिया गया!
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक मृतक का प्राइवेट पार्ट कटा हुआ था। उसकी आंखें निकाल ली गई हैं और जीभ काट दी गई है. इस बेदाग हत्या और लाश को देखकर लोगों में आक्रोश फैल गया. आक्रोशित सैकड़ों लोगों ने एनएच-27 को जाम कर दिया.
हंगामे और पथराव में पुलिस कर्मियों के अलावा कुछ अन्य लोग भी घायल हो गए। सदर एसडीपीओ प्रांजल ने बताया कि युवक का शव बरामद कर लिया गया है. पुलिस ने परिजनों के बयान पर प्राथमिकी दर्ज कर जांच शुरू कर दी है.
इस हालत में शव मिलने से ग्रामीण नाराज हो गये
हत्या के कारणों का अभी तक पता नहीं चल सका है। दानापुर गांव निवासी वैद्यनाथ साह का पुत्र मनोज कुमार सोमवार की रात शिव मंदिर से लापता हो गया. इस दौरान परिजनों ने काफी खोजबीन की, लेकिन कुछ पता नहीं चला.
अगले दिन मांझा थाने में अपहरण का आरोप लगाते हुए प्राथमिकी दर्ज करायी गयी. इसके बाद पुलिस ने जांच शुरू की। अब जब शव इस हालत में मिला तो गांववाले नाराज हो गए और दंगा भड़क गया.
आगजनी कर प्रदर्शन
आक्रोशित ग्रामीणों ने शव को दानापुर में एनएच-27 पर रखकर जाम कर दिया. इसके बाद लोगों ने विरोध प्रदर्शन करते हुए आगजनी की. उन्होंने हत्यारों की गिरफ्तारी की मांग की. जब पुलिस मौके पर पहुंची तो भीड़ उग्र हो गयी.
प्रदर्शनकारियों ने एक पुलिस वाहन में तोड़फोड़ की और उसे क्षतिग्रस्त कर दिया. पुलिस ने भीड़ पर लाठियां चलानी शुरू कर दीं और ग्रामीणों ने पथराव शुरू कर दिया. इसके बाद पुलिस को भीड़ को तितर-बितर करने के लिए संघर्ष करना पड़ा।