Chanakya Niti: खूबसूरत पत्नी भी हो सकती है आपकी दुश्मन, अगर पत्नी मे हों ये गुण तो
खूबसूरत और भोली-भाली दिखने वाली खूबसूरत महिला कब नागिन का रूप ले लेगी, आपको पता भी नहीं चलेगा। महान अर्थशास्त्री, विद्वान और अपने समय के सबसे बुद्धिमान व्यक्ति आचार्य चाणक्य ने शत्रु के बारे में एक बड़ी बात कही है।
Chanakya Niti: क्या आपकी पत्नी बेहद खूबसूरत है और आप उसे अपनी जान से भी ज्यादा प्यार करते हैं तो जरा सावधान हो जाइए, क्योंकि खूबसूरत महिला का एक गुण आपको नुकसान पहुंचा सकता है।
खूबसूरत और भोली-भाली दिखने वाली खूबसूरत महिला कब नागिन का रूप ले लेगी, आपको पता भी नहीं चलेगा। महान अर्थशास्त्री, विद्वान और अपने समय के सबसे बुद्धिमान व्यक्ति आचार्य चाणक्य ने शत्रु के बारे में एक बड़ी बात कही है।
आचार्य चाणक्य की नीतियां आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं जितनी उनके समय में थीं। आचार्य चाणक्य द्वारा लिखित नीतिशास्त्र में मनुष्य की जीवनशैली के बारे में बहुत कुछ लिखा गया है। आचार्य चाणक्य की नीतियों का पालन करके व्यक्ति हर मुसीबत से उबर सकता है।
आचार्य चाणक्य की नीतियों का पालन करके व्यक्ति अपने जीवन में खुशियां हासिल कर सकता है। उनके नीति शास्त्र (Chanakya Niti) के अनुसार कई तरह के लोग रिश्तों में दुश्मन के बराबर होते हैं। इसमें उन्होंने खूबसूरत पत्नी को शामिल किया है.
पिता ऋणी है, शत्रु माता है और व्यभिचारिणी माता है। सुन्दर पत्नी शत्रु है और पुत्र शत्रु है, विद्वान व्यक्ति नहीं।
आचार्य चाणक्य यहां शत्रु के स्वभाव की चर्चा करते हुए कहते हैं कि उधार लेने वाला पिता शत्रु होता है। व्यभिचारी माता भी शत्रु होती है। सुन्दर पत्नी शत्रु है और मूर्ख पुत्र शत्रु है।
यह कहा जा सकता है कि जो पिता अपने पुत्र के लिए ऋण छोड़ जाता है, वह शत्रु के समान है। बुरे आचरण वाली माँ भी अपने बच्चों के लिए शत्रु के समान होती है। अधिक सुन्दर पत्नी को शत्रु समझना चाहिए और मूर्ख पुत्र अपने माता-पिता के लिए शत्रु के समान होता है।
अपने नीति शास्त्र में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जो पिता घर चलाने के लिए कर्ज लेता है वह शत्रु होता है, क्योंकि उसकी मृत्यु पर यह कर्ज संतान को चुकाना पड़ता है।
एक व्यभिचारी माँ की भी शत्रु के रूप में निंदा की जाती है और उसे अस्वीकार कर दिया जाता है, क्योंकि वह अपने धर्म से गिर जाती है और अपने पिता और पति के परिवार को कलंकित करती है। ऐसी माँ के पुत्र को सामाजिक अपमान सहना पड़ता है।
इसी प्रकार जो स्त्री अपनी सुंदरता के कारण अपने पति की उपेक्षा करती है, उसे शत्रु समझना चाहिए। क्योंकि वह कर्तव्य से विमुख हो जाती है। मूर्ख पुत्र भी कुल के लिये कलंक होता है।
वह भी अस्वीकार्य है. अत: अपने उद्यम से परिवार का भरण-पोषण करने वाला पिता, पवित्र माता, अपने रूप और सौंदर्य पर अभिमान न करने वाली स्त्री तथा विद्वान पुत्र ही परोपकारी होते हैं।
उन्हें वश में करो
वशीकरण के बारे में आचार्य चाणक्य ने भी लिखा है…
उसे धन के लालची को दंग रह हथेली की क्रिया से लेना चाहिए। मूर्ख वेदों का पालन करता है और विद्वान सत्य बोलता है
वशीकरण के संबंध में आचार्य चाणक्य बताते हैं कि लालची को धन देकर, अहंकारी को हाथ जोड़कर, मूर्ख को उपदेश से और बुद्धिमान को सत्य बोलकर वश में करना चाहिए।
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि लालची व्यक्ति को धन देकर कोई भी काम करवाया जा सकता है। अगर किसी घमंडी व्यक्ति से कुछ काम करवाना हो तो उसके सामने हाथ जोड़कर, झुककर चलना चाहिए।
मूर्ख व्यक्ति को केवल समझा-बुझाकर ही वश में किया जा सकता है। विद्वान व्यक्ति से सत्य बोलना चाहिए, स्पष्ट बोलकर ही उन्हें वश में किया जा सकता है।