भारत की शांगरी-ला घाटी में जो भी गया, कभी वापस नहीं आया

शांगरी-ला को वायुमंडल के चौथे आयाम, समय से प्रभावित स्थानों में से एक माना जाता है

इस घाटी का जिक्र अरुण शर्मा ने अपनी किताब ‘दैट मिस्टीरियस वैली ऑफ तिब्बत’ में भी किया है

उन्होंने बताया कि अगर कोई वस्तु या व्यक्ति अनजाने में वहां चला जाता है, तो वह कभी वापस दुनिया में नहीं आ सकता

युत्सुंग के मुताबिक वह खुद इस रहस्यमयी घाटी में जा चुके हैं और वहां न तो सूरज था और न ही चांद, लेकिन फिर भी चारों ओर एक रहस्यमयी रोशनी फैली हुई है

इस स्थान को कई लोग पृथ्वी का आध्यात्मिक नियंत्रण केंद्र भी कहते हैं। इसे सिद्धाश्रम भी कहा जाता है, जिसका उल्लेख वेदों में महाभारत से लेकर वाल्मिकी रामायण तक में मिलता है