High Court Decision : ससुराल की संपत्ति में दामाद का कितना है अधिकार, क्या दामाद मांग सकता है अपने ससुराल की संपत्ति में हिस्सा
उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है । जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि दामाद को ससुर की संपत्ति में किसी भी हिस्से पर कानूनी अधिकार नहीं है ।

High Court Decision : हर व्यक्ति विवाह करता है क्योंकि जीवन में विवाह एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। शादी ऐसा रिश्ता है जो न केवल दो लोगों को बल्कि लड़के और लड़की के परिवार वालों को भी आपस में जोड़ता है ।
High Court Decision
शादी के बाद अक्सर बेटी के माता-पिता उसकी देखभाल के लिए हर संभव प्रयास करते हैं । बेटी के पिता को हमेशा यह डर लगा रहता है कि बेटी ससुराल में सुरक्षित है या नहीं । लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि बेटी के पिता को ससुराल वालों की हर मांग पूरी करनी चाहिए । विशेषकर संपत्ति के मामले में ।
उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है । जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि दामाद को ससुर की संपत्ति में किसी भी हिस्से पर कानूनी अधिकार नहीं है । High Court Decision
यदि दामाद ने संपत्ति खरीदने या पुनर्निर्माण में ससुर की आर्थिक मदद की हो, तो भी उसे संपत्ति पर दामाद का अधिकार नहीं होगा । उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि यदि संपत्ति का हस्तांतरण बलपूर्वक या धोखाधड़ी से किया गया हो तो उसे अदालत में चुनौती दी जा सकती है । High Court Decision
यदि कोई ससुर स्वेच्छा से अपनी सारी संपत्ति दामाद को हस्तांतरित कर देता है, तो वह संपत्ति दामाद की हो जाती है और ससुर का उस पर कोई अधिकार नहीं होता ।
यदि संपत्ति का हस्तांतरण बलपूर्वक किया जाता है, तो इसे उच्च न्यायालय में चुनौती दी जा सकती है । इसी प्रकार, पत्नी को अपने ससुराल वालों की पैतृक संपत्ति पर कोई अधिकार नहीं है ।
उच्च न्यायालय ने कहा कि दामाद या पत्नी को संपत्ति पर तब तक कोई अधिकार नहीं होगा जब तक कि संपत्ति कानूनी रूप से हस्तांतरित न हो जाए । यदि पति की मृत्यु हो जाती है तो पत्नी को उतना ही हिस्सा मिलेगा जितना उसके पति को मिलता ।
उच्च न्यायालय की ओर से तलिपरम्बा के डेविस राफेल ने पयानुर अदालत के आदेश के खिलाफ याचिका दायर की थी । पेनूर न्यायालय ने डेविस के अपने ससुर हेनरी थॉमस की संपत्ति पर दावे को खारिज कर दिया था । डेविस की ओर से दावा किया गया कि उसे अपने ससुर की संपत्ति का हक मिलना चाहिए लेकिन कोर्ट ने ऐसा करने से इनकार कर दिया ।