Minimum Balance Rules : बैंक खाताधारकों के लिए Good News, RBI ने न्यूनतम बैलेंस को लेकर लागू किया नया नियम
अब यदि कोई बैंक खाता दो साल तक निष्क्रिय रहता है और उसमें न्यूनतम शेष राशि नहीं है, तो बैंक कोई जुर्माना नहीं लगा सकेगा ।

Minimum Balance Rules : बैंक खाताधारकों के लिए बड़ी राहत भरी खबर है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने न्यूनतम बैलेंस (Minimum Balance Rules) को लेकर नए नियम लागू किए हैं । ये नियम 1 तारीख से पूरे भारत में लागू हो गए हैं । इससे लाखों खाताधारक प्रभावित होंगे, विशेषकर वे लोग जिन्होंने लंबे समय से अपने खातों का उपयोग नहीं किया है ।
अब यदि कोई बैंक खाता दो साल तक निष्क्रिय रहता है और उसमें न्यूनतम शेष राशि नहीं है, तो बैंक कोई जुर्माना नहीं लगा सकेगा । आरबीआई ने यह नियम अप्राप्य खातों की संख्या कम करने और ग्राहकों को राहत प्रदान करने के उद्देश्य से लागू किया है ।
Minimum Balance Rules
यदि किसी खाते से लगातार दो वर्षों तक कोई लेनदेन नहीं किया जाता है, तो बैंक उस खाते को निष्क्रिय खाता घोषित कर देता है । लेकिन नए नियमों के अनुसार, अब ऐसे खातों पर जुर्माना नहीं लगेगा, भले ही उनमें न्यूनतम राशि न हो ।
आरबीआई ने यह भी स्पष्ट किया है कि छात्रवृत्ति या प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) के लिए खोले गए खातों पर न्यूनतम शेष राशि का कोई नियम लागू नहीं होगा । Minimum Balance Rules
भले ही इन खातों में दो वर्षों से कोई लेन-देन न हुआ हो, फिर भी:
उन्हें निष्क्रिय नहीं माना जाएगा ।
इन पर कोई जुर्माना या शुल्क नहीं लगेगा ।
खाते में शून्य शेष राशि होने पर भी बैंक ब्याज देना जारी रखेंगे ।
ग्राहक ऐसे कर सकते हैं शिकायत Minimum Balance Rules
यदि कोई बैंक नए नियमों के बावजूद आपसे जुर्माना वसूलता है, तो आप यह कर सकते हैं:
सबसे पहले अपनी बैंक शाखा से संपर्क करें ।
यदि कोई समाधान न मिले तो बैंक बोर्ड को लिखित में शिकायत करें ।
फिर भी कोई कार्रवाई न हो तो आरबीआई की आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं और शिकायत पोर्टल पर शिकायत दर्ज करें ।
सरकारी योजनाओं से जुड़े खातों में यदि कोई राशि नहीं भी है तो भी उन्हें निष्क्रिय नहीं माना जाएगा । इसका मतलब यह है कि इन खातों पर अब न्यूनतम शेष राशि शुल्क भी नहीं लिया जा सकेगा ।
आरबीआई ने ये न्यूनतम बैलेंस नियम क्यों लागू किए? Minimum Balance Rules
आरबीआई का लक्ष्य है
बैंकों में पड़े अनुपलब्ध धन में कमी लाना ।
उस राशि को खातों के वास्तविक मालिकों तक पहुंचाना ।
बैंकिंग प्रणाली को पारदर्शी और उपभोक्ता-अनुकूल बनाना ।
आरबीआई के नए परिपत्र के अनुसार, बैंकों को अब निष्क्रिय खातों के प्रति अधिक सतर्क रहना होगा और ग्राहकों को वित्तीय नुकसान से बचाना होगा ।