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Token Exchange System: ट्रेन के ड्राइवर को क्यों दिया जाता है लोहे का रिंग?जानिए इसका कारण

ट्रेन के ड्राइवर को सफर के दौरान अक्सर स्टील रिंग दी जाती है, जिसे रेलवे की भाषा में टोकन एक्सचेंज सिस्टम कहते हैं।

Token Exchange System: ट्रेन के ड्राइवर को सफर के दौरान अक्सर स्टील रिंग दी जाती है, जिसे रेलवे की भाषा में टोकन एक्सचेंज सिस्टम कहते हैं।पहले रेलवे में सिंगल और शॉर्ट ट्रैक ही होते थे। दोनों तरफ की ट्रेनें एक ही ट्रैक पर चलाई गईं। ऐसे में टोकन एक्सचेंज सिस्टम के जरिए ट्रेनों का सुरक्षित संचालन किया गया।

ट्रेन से यात्रा करते समय यात्रियों को अक्सर नियम-कानून का सामना करना पड़ता है। आपने देखा होगा कि जब भी कोई ट्रेन स्टेशन पर आती है तो एक रेलकर्मी प्लेटफॉर्म पर खड़ा होकर ट्रेन ड्राइवर को लोहे का छल्ला थमा देता है।

बहुत से लोग आश्चर्य करते हैं कि यह क्या है और इसके लिए क्या है। आपको बता दें कि यह टोकन एक्सचेंज सिस्टम है। हालाँकि यह धीरे-धीरे लुप्त हो रहा है, फिर भी देश के कई राज्यों में इसका उपयोग किया जाता है।

भारतीय रेलवे का तेजी से आधुनिकीकरण हो रहा है। आज भी रेलवे में अंग्रेजों के जमाने की कई तकनीकों का इस्तेमाल होता है। इनमें से एक टोकन एक्सचेंज सिस्टम है। हालांकि अब यह तकनीक धीरे-धीरे खत्म होती जा रही है। देश के कई हिस्सों में रेलवे में अभी भी इसका उपयोग किया जाता है।

ट्रेनों के सुरक्षित संचालन को सुनिश्चित करने के लिए ब्रिटिश काल के दौरान टोकन एक्सचेंज सिस्टम तकनीक का निर्माण किया गया था। पुराने दिनों में ट्रैक सर्किट नहीं होते थे। फिर टोकन एक्सचेंज सिस्टम के जरिए ट्रेन सुरक्षित अपने गंतव्य तक पहुंचती है।

वर्षों पहले रेलमार्गों के पास आज की तरह उन्नत तकनीक नहीं थी इसलिए कई तरीकों से सुरक्षित संचालन सुनिश्चित किया जाता था। शुरुआत में सिंगल और शॉर्ट ट्रैक ही थे और दोनों तरफ से आने वाली ट्रेनों को एक ही ट्रैक पर चलाया जाता था। ऐसे में ट्रेन की टक्कर रोकने के लिए टोकन एक्सचेंज सिस्टम का इस्तेमाल किया गया।

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