Chanakya Niti: जीवन में परेशानियों से बचना है तो कभी न करें इस चीज का दुरुपयोग, जानें आचार्य चाणक्य की शिक्षाएं
चाणक्य नीति मनुष्य के जीवन का हर क्षण महत्वपूर्ण है। अतः इसका समुचित उपयोग मनुष्य के लिए आवश्यक है।
Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य ने समय के महत्व को समझाते हुए कहा है कि समय एक महत्वपूर्ण संसाधन है, जो हमारे पास सीमित मात्रा में होता है। यह हमारी सबसे बुनियादी संपत्ति है, जिसे हम बदल नहीं सकते। आचार्य चाणक्य ने इस बात का विस्तार से उल्लेख चाणक्य नीति ग्रंथ में किया है –
समय के विचलन में कोई देरी नहीं है
आचार्य चाणक्य ने इस श्लोक में कहा है कि जो व्यक्ति समय का दुरुपयोग करता है वह अपना जीवन बिना बाधा के नहीं जी सकता। आलसी व्यक्ति का जीवन कठिनाइयों से घिरा रहता है। आचार्य के अनुसार जब कोई व्यक्ति समय का सदुपयोग नहीं करता है तो उसे जीवन में कई बार नुकसान उठाना पड़ता है।
अतीत कभी वापस नहीं आता
आचार्य चाणक्य ने कहा है कि जो समय बीत जाता है उसे दोबारा नहीं बनाया जा सकता। इस प्रकार, यदि समय का सही उपयोग न किया जाए तो वह बर्बाद हो जाता है। मानव जीवन में हर पल मायने रखता है। अतः इसका समुचित उपयोग मनुष्य के लिए आवश्यक है।
संदेह का विनाश अनिश्चितता के विनाश से बेहतर है
इस सूत्र के आचार्य चाणक्य ने कहा है कि मृत्यु मनुष्य के लिए अपरिहार्य है, इसलिए मनुष्य के लिए संघर्ष से विमुख होकर जीवन जीना उतना लाभदायक नहीं है, जितना संघर्ष करते हुए अनिश्चित मृत्यु को गले लगाना है। संघर्ष से बचने से मृत्यु को नहीं बचाया जा सकता।
विजयी मन से उस अपरिहार्य मृत्यु का आह्वान करने से ही मानव जीवन सफल होता है जिसे टाला नहीं जा सकता। मृत्यु को व्यर्थ बनाना ही मृत्यु पर विजय प्राप्त करना है। कोई भी व्यक्ति वास्तविक मृत्यु से नहीं बच सकता।
यह संसार एक युद्ध क्षेत्र है। स्वयं के कार्य में लगे रहना और कार्य करते हुए विश्व का कल्याण करना ही वास्तविक जीवन का लक्ष्य है अर्थात मनुष्य को अपने कर्तव्य पालन से कभी विमुख नहीं होना चाहिए।
‘इस लेख में मौजूद जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित कर यह जानकारी आप तक पहुंचायी गयी है।
हमारा उद्देश्य केवल सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सूचना समझकर ही लें। साथ ही, इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की होती है।’